अचानक
आज जब देखा तुम्हें -
कुछ और जीना चाहता हूँ!
गुजर कर
बहुत लंबी कठिन सुनसान
जीवन-राह से,
प्रतिपल झुलस कर
जिंदगी के सत्य से
उसके दहकते दाह से,
अचानक
आज जब देखा तुम्हें -
कड़वाहट भरी इस जिंदगी में
विष और पीना चाहता हूँ!
कुछ और जीना चाहता हूँ!
अभी तक
प्रेय!
कहाँ थीं तुम?
नील-कुसुम!